आपकी नींद और स्वास्थ्य के लिए उपयोगी सोने के तरीके (sleeping pattern)

unrecognizable ethnic mother relaxing near baby sleeping with father on bed
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आपकी नींद और स्वास्थ्य

1. आपकी नींद और स्वास्थ्य दोपहर में ज्यादातर बाएं तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना चाहिए। खाना खाने के बाद 10 मिनट ब्रजासन में जरूर बैठें ।दोपहर में जरूरी है और रात में टहल सकते हैं।

2. विश्राम करते समय सिर सूरज की दिशा में हो तो सबसे अच्छा है। सोते हुए सांस लेते समय पेट फूलना और पिचकना चाहिए। काम करते समय हमेशा छाती से सांस लेनी चाहिए। रात में हमेशा सीधे सोना चाहिए, पीठ नीचे, पेट ऊपर, बच्चों के सोने की स्थिति बहुत अच्छी होती है। कोई मजबूरी होने पर सिर दक्षिण दिशा में करके सोएं अन्यथा नहीं। उत्तर में सिर करके कभी ना सोएं। सोने के लिए उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है।

3. जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें सबसे पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। चंद्र नाड़ी सक्रिय है तो नींद बहुत अच्छी आएगी। हाथ हमेशा छाती और पेट के जंक्शन पर होना चाहिए। उठते समय कभी भी बाएं तरफ से नहीं उठाना चाहिए। हमेशा दाहिनी तरफ से उठना चाहिए।

4. मासिक चक्र के समय स्त्रियों को तीन-चार दिन तक पेट के बल सोना चाहिए। मासिक चक्र के समय गर्भाशय फैलने की कोशिश करता है। इसीलिए पेट के बल सोने से गर्भाशय नहीं फैल सकता है। मासिक चक्र के समय मगर आसन में सोना महिलाओं के लिए अच्छा होता है।

5. 60 वर्ष से अधिक के लोगों को सीधे लेटकर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर सो सकते हैं।

6. पेट के बल सोने से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। एपेंडिक्स भी हो सकता है। प्रोस्टेट की समस्या आ सकती है।

7. पढ़ना लिखना या कोई भी अभ्यास करना है तो उत्तर की दिशा सबसे अच्छी है।

सोने पर आकर्षण बल काम करेगा

8. पृथ्वी और शरीर के बीच एक बल काम करता है जिसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के लिए पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव और पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव ये दोनों सबसे ज्यादा तीव्र होते हैं तथा एक चुंबक की तरह काम करते हैं।

9. चुंबक के दो सिर होते हैं, उत्तर और दक्षिण। शरीर का उत्तर सिर और दक्षिण पैर है अर्थात सिर उत्तर की दिशा में होने पर प्रतिकर्षण बल काम करेगा जिससे शरीर मैं संकुचन आएगा। इससे रक्त में भी दबाव पड़ेगा। जिनके कारण नींद ठीक प्रकार से नहीं आएगी। हृदय की गति भी तेज होगी। इसी का उल्टा करने पर यानी सिर दक्षिण में और पैर उतर में करके सोने पर आकर्षण बल काम करेगा और अपने शरीर को खींचेगा जिसके कारण शरीर को आराम मिलेगा और नींद अच्छी आएगी। ऐसा करने से ज्यादातर मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।

10. पूर्व दिशा न्यूट्रल है यहां न तो आकर्षण बल काम करता है और न ही प्रतिकर्षण बल काम करता है और यदि है भी तो संतुलित अवस्था में है। सोने के लिए पश्चिम दिशा पर अभी तक ज्यादा कुछ स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। गृहस्थ लोगों के अतिरिक्त सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए और सभी ग्रस्त लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए।

11. जिन बच्चों की लंबाई उसकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, ऐसे बच्चों को दक्षिण दिशा में सिर करके सुलाना चाहिए। 4 से 5 सालों में लंबाई सामान्य हो जाएगी

12. शरीर श्रम करने वाले वालों को कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए जो शारीरिक श्रम नहीं करते उनको 6:00 से 6:30 घंटे सोना चाहिए।

13. गृहस्त को छोड़कर सभी को सोते समय सिर पूरब दिशा में रखें। गृहस्त को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।

पीठ के बल सोना सबसे अच्छा होता है।

14. पीठ के बल सोना सबसे अच्छा होता है। दोपहर में भोजन के बाद लेटने के लिए बांयी तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना सबसे अच्छा होता है। कम से कम 10 से 15 मिनट, इसके बाद थोड़ी देर दाहिनी तरफ 5 से 10 मिनट इसके बाद सीधे सो जाना चाहिए। रातों में सोते समय 10 से 15 मिनट पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। इसके बाद बाएं तरफ (वामकुक्षि)10 से 15 मिनट पीठ के बल सोना चाहिए।

15. चंद्रनाड़ी का मतलब बाई नाक, सूर्य नाड़ी का मतलब दाहिनी नाक। जब बाईं नाक सक्रिय होती है तो दिमाग का या मस्तिष्क का बायां भाग सक्रिय होता है। उसी प्रकार जब दाहिनी नाक चलती है तो मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा सक्रिय होता है। मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा बचने की क्रिया से संबंधित है। इसके अतिरिक्त गाली देना, गुस्सा करना, मार मारामारी करना, किसी को जान से मार देना या किसी को अपमानित कर देना। इस तरह के जितने भी दुर्गुण है। यह सब दिमाग के दाहिने हिस्से से संबंधित है। बायें हिस्से से प्रेम, वात्सल्य, अपनापन, सौहार्द ,दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इसी प्रकार से जितने भी सद्गुण है यह सब मस्तिष्क के बाएं हिस्से पाचन की क्रिया को मंद करता है।

16. संध्या भोजन के 2 घंटे बाद ही सोना चाहिए और इस 2 घंटे में खाना पाचन हो चुका होता है। अतः रात्रि का लेटना भोजन को पचाने के लिए नहीं होता है। इसलिए रात्रि में पहले दाहिनी तरफ सोना चाहिए।

16. जमीन पर कुश की चटाई बिछाकर सोना सबसे अच्छा है। सोते समय जमीन और शरीर के बीच न तो सुचालक स्थिति भी ज्यादा हो और ना ही कुचालक स्थिति ही ज्यादा हो।

17. पत्नी के साथ सोते समय अथवा संभोग करते समय हमेशा दक्षिण दिशा में ही सोना चाहिए क्योंकि दाहिने दिशा में उत्तरी ध्रुव (हमारे शरीर का उत्तरी ध्रुव मस्तिष्क है) और दाहिनी ध्रुव पृथ्वी का दोनों के बीच आकर्षक कृष्ण बल काम करता है, जो कि संभोग के समय के लिए बहुत अच्छा माना गया है। अतः पत्नी के साथ जब भी सोये या संभोग की स्थिति हो तो दाहिनी दिशा में ही मस्तिस्क करके सोना चाहिए।

18. ज्यादा से ज्यादा जमीन पर सोना शरीर के लिए सबसे अच्छा है। बस ध्यान इतना रखना है कि बिछावन पतले से भी पतला हो। जमीन पर सोना, जमीन पर बैठना, जमीन पर खाना और जमीन पर ही मरना शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अतः प्राण निकलते समय जमीन पर होना सबसे अच्छी मृत्यु माना गया है।

a woman sleeping with a sleep mask
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1. दोपहर में ज्यादातर बाएं तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना चाहिए। खाना खाने के बाद 10 मिनट ब्रजासन में जरूर बैठें ।दोपहर में जरूरी है और रात में टहल सकते हैं।

2. विश्राम करते समय सिर सूरज की दिशा में हो तो सबसे अच्छा है। सोते हुए सांस लेते समय पेट फूलना और पिचकना चाहिए। काम करते समय हमेशा छाती से सांस लेनी चाहिए। रात में हमेशा सीधे सोना चाहिए, पीठ नीचे, पेट ऊपर, बच्चों के सोने की स्थिति बहुत अच्छी होती है। कोई मजबूरी होने पर सिर दक्षिण दिशा में करके सोएं अन्यथा नहीं। उत्तर में सिर करके कभी ना सोएं। सोने के लिए उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है।

3. जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें सबसे पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। चंद्र नाड़ी सक्रिय है तो नींद बहुत अच्छी आएगी। हाथ हमेशा छाती और पेट के जंक्शन पर होना चाहिए। उठते समय कभी भी बाएं तरफ से नहीं उठाना चाहिए। हमेशा दाहिनी तरफ से उठना चाहिए।

4. मासिक चक्र के समय स्त्रियों को तीन-चार दिन तक पेट के बल सोना चाहिए। मासिक चक्र के समय गर्भाशय फैलने की कोशिश करता है। इसीलिए पेट के बल सोने से गर्भाशय नहीं फैल सकता है। मासिक चक्र के समय मगर आसन में सोना महिलाओं के लिए अच्छा होता है।

5. 60 वर्ष से अधिक के लोगों को सीधे लेटकर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर सो सकते हैं।

6. पेट के बल सोने से हर्निया होने की संभावना अधिक होती है। एपेंडिक्स भी हो सकता है। प्रोस्टेट की समस्या आ सकती है।

7. पढ़ना लिखना या कोई भी अभ्यास करना है तो उत्तर की दिशा सबसे अच्छी है।

8. पृथ्वी और शरीर के बीच एक बल काम करता है जिसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के लिए पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव और पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव ये दोनों सबसे ज्यादा तीव्र होते हैं तथा एक चुंबक की तरह काम करते हैं।

9. चुंबक के दो सिर होते हैं, उत्तर और दक्षिण। शरीर का उत्तर सिर और दक्षिण पैर है अर्थात सिर उत्तर की दिशा में होने पर प्रतिकर्षण बल काम करेगा जिससे शरीर मैं संकुचन आएगा। इससे रक्त में भी दबाव पड़ेगा। जिनके कारण नींद ठीक प्रकार से नहीं आएगी। हृदय की गति भी तेज होगी। इसी का उल्टा करने पर यानी सिर दक्षिण में और पैर उतर में करके सोने पर आकर्षण बल काम करेगा और अपने शरीर को खींचेगा जिसके कारण शरीर को आराम मिलेगा और नींद अच्छी आएगी। ऐसा करने से ज्यादातर मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।

10. पूर्व दिशा न्यूट्रल है यहां न तो आकर्षण बल काम करता है और न ही प्रतिकर्षण बल काम करता है और यदि है भी तो संतुलित अवस्था में है। सोने के लिए पश्चिम दिशा पर अभी तक ज्यादा कुछ स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। गृहस्थ लोगों के अतिरिक्त सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए और सभी ग्रस्त लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए।

11. जिन बच्चों की लंबाई उसकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, ऐसे बच्चों को दक्षिण दिशा में सिर करके सुलाना चाहिए। 4 से 5 सालों में लंबाई सामान्य हो जाएगी

12. शरीर श्रम करने वाले वालों को कम से कम 8 घंटे सोना चाहिए जो शारीरिक श्रम नहीं करते उनको 6:00 से 6:30 घंटे सोना चाहिए।

13. गृहस्त को छोड़कर सभी को सोते समय सिर पूरब दिशा में रखें। गृहस्त को दक्षिण दिशा में रखना चाहिए।

14. पीठ के बल सोना सबसे अच्छा होता है। दोपहर में भोजन के बाद लेटने के लिए बांयी तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना सबसे अच्छा होता है। कम से कम 10 से 15 मिनट, इसके बाद थोड़ी देर दाहिनी तरफ 5 से 10 मिनट इसके बाद सीधे सो जाना चाहिए। रातों में सोते समय 10 से 15 मिनट पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। इसके बाद बाएं तरफ (वामकुक्षि)10 से 15 मिनट पीठ के बल सोना चाहिए।

15. चंद्रनाड़ी का मतलब बाई नाक, सूर्य नाड़ी का मतलब दाहिनी नाक। जब बाईं नाक सक्रिय होती है तो दिमाग का या मस्तिष्क का बायां भाग सक्रिय होता है। उसी प्रकार जब दाहिनी नाक चलती है तो मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा सक्रिय होता है। मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा बचने की क्रिया से संबंधित है। इसके अतिरिक्त गाली देना, गुस्सा करना, मार मारामारी करना, किसी को जान से मार देना या किसी को अपमानित कर देना। इस तरह के जितने भी दुर्गुण है। यह सब दिमाग के दाहिने हिस्से से संबंधित है। बायें हिस्से से प्रेम, वात्सल्य, अपनापन, सौहार्द ,दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इसी प्रकार से जितने भी सद्गुण है यह सब मस्तिष्क के बाएं हिस्से पाचन की क्रिया को मंद करता है।

16. संध्या भोजन के 2 घंटे बाद ही सोना चाहिए और इस 2 घंटे में खाना पाचन हो चुका होता है। अतः रात्रि का लेटना भोजन को पचाने के लिए नहीं होता है। इसलिए रात्रि में पहले दाहिनी तरफ सोना चाहिए।

16. जमीन पर कुश की चटाई बिछाकर सोना सबसे अच्छा है। सोते समय जमीन और शरीर के बीच न तो सुचालक स्थिति भी ज्यादा हो और ना ही कुचालक स्थिति ही ज्यादा हो।

17. पत्नी के साथ सोते समय अथवा संभोग करते समय हमेशा दक्षिण दिशा में ही सोना चाहिए क्योंकि दाहिने दिशा में उत्तरी ध्रुव (हमारे शरीर का उत्तरी ध्रुव मस्तिष्क है) और दाहिनी ध्रुव पृथ्वी का दोनों के बीच आकर्षक बल काम करता है, जो कि संभोग के समय के लिए बहुत अच्छा माना गया है। अतः पत्नी के साथ जब भी सोये या संभोग की स्थिति हो तो दाहिनी दिशा में ही मस्तिस्क करके सोना चाहिए।

18. ज्यादा से ज्यादा जमीन पर सोना शरीर के लिए सबसे अच्छा है। बस ध्यान इतना रखना है कि बिछावन पतले से भी पतला हो। जमीन पर सोना, जमीन पर बैठना, जमीन पर खाना और जमीन पर ही मरना शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अतः प्राण निकलते समय जमीन पर होना सबसे अच्छी मृत्यु माना गया है।

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