“आयुर्वेदिक टिप्स: रोग निवारण के लिए अर्जुन की छाल का कड़ा”

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अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए

1. अर्जुन की छाल का काढ़ा हमेशा औषधि के रूप में ही पिए। चाय और कॉफी कभी मत पिएं ।अर्जुन की छाल का काढ़ा से रक्त से कचरे को साफ कर देता है जिससे हृदयाघात जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। नवंबर, दिसंबर,जनवरी,फरवरी इन 4 महीनों में अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए।

2. आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर+ एक गिलास पानी+ गुड़+ दालचीनी+ तुलसी का पत्ता + नींबू + काली मिर्च + हरे पत्ते वाली चाय + शार्ट मिलाकर पी सकते हैं।

3. शॉर्ट में अदरक से ज्यादा गुणकारी तत्व पाए जाते हैं। 3 महीने के बच्चों को अजवाइन की छाछ दी जा सकती है।

4. अर्जुन की छाल से पथरी होने की शंका ना के बराबर है। पथरी चुना अधिक मात्रा में खाने की स्थिति में ही हो सकती है अन्यथा नहीं।

5. काढ़ा शाम को पी सकते हैं लेकिन सुबह सबसे अच्छा होता है, काढ़ा पीना।

6. चाय पीने वालों को चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना चाहिए। चीनी के प्रयोग से शरीर में अम्लता बढ़ती है और गुड़ के प्रयोग से दूध मिलाने की आवश्यकता नहीं होगी और इस चाय में थोड़ा नींबू डालकर इसे न्यूट्रल करके पी सकते हैं। इसको पीने से पहले पानी जरूर पिएं संभव हो तो हरे पत्ते की ही चाय पिएं हरे पत्ते की चाय एंटीऑक्सीडेंटल प्रॉपर्टी वाली हैं ।यह चाय चुने वाली चाय से थोड़ी बेहतर है।

7. केवड़ा डालकर या खस डाला हुआ जल सिर्फ गर्मियों (मार्च,अप्रैल, मई,जून) में पियें, बरसात शुरू होते ही इसे पीना बंद कर दें।

8. सुबह दूध नहीं पीना है, लेकिन फिर भी अगर सुबह दूध पीना है तो आंवले के साथ में पियें।

9. भारत में 1750 के पहले कहीं भी चाय का नामोनिशान नहीं था। जिनका ब्लड प्रेशर लो रहता है। चाय उनके लिए दवा है। दूसरे नवंबर पर कॉफी है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर नॉर्मल और हाई रहता है, चाय उसके लिए जहर है। ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों का रक्तचाप लो होता है। गर्म देश में रहने वाले लोगों का पेट सामान्य से अधिक अम्लीय होता है और ठंडे देशों के लोगों का पेट सामान्य से कम अम्लीय होता है।

10. भारत के लोगों का रक्त एसिडिटी के मामले में PH स्केल पर 6.4, 6.5, 6.8 तक चला जाता है यूरोप और अमेरिका में 8 से ऊपर ही रहता है यहां के लोगों का रक्त थोड़ा अच्छा ही होता है।

11. अर्जुन की छाल का काढ़ा जीरे का कड़ा ज्वाइन काकड़ा आदि छड़ी होते हैं।

macro photograph of grass
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अर्जुन की छाल का काढ़ा

1. अर्जुन की छाल का काढ़ा हमेशा औषधि के रूप में ही पिए। चाय और कॉफी कभी मत पिएं ।अर्जुन की छाल का काढ़ा से रक्त से कचरे को साफ कर देता है जिससे हृदयाघात जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। नवंबर, दिसंबर,जनवरी,फरवरी इन 4 महीनों में अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए।

2. आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर+ एक गिलास पानी+ गुड़+ दालचीनी+ तुलसी का पत्ता + नींबू + काली मिर्च + हरे पत्ते वाली चाय + शार्ट मिलाकर पी सकते हैं।

3. शॉर्ट में अदरक से ज्यादा गुणकारी तत्व पाए जाते हैं। 3 महीने के बच्चों को अजवाइन की छाछ दी जा सकती है।

4. अर्जुन की छाल से पथरी होने की शंका ना के बराबर है। पथरी चुना अधिक मात्रा में खाने की स्थिति में ही हो सकती है अन्यथा नहीं।

5. काढ़ा शाम को पी सकते हैं लेकिन सुबह सबसे अच्छा होता है, काढ़ा पीना।

6. चाय पीने वालों को चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना चाहिए। चीनी के प्रयोग से शरीर में अम्लता बढ़ती है और गुड़ के प्रयोग से दूध मिलाने की आवश्यकता नहीं होगी और इस चाय में थोड़ा नींबू डालकर इसे न्यूट्रल करके पी सकते हैं। इसको पीने से पहले पानी जरूर पिएं संभव हो तो हरे पत्ते की ही चाय पिएं हरे पत्ते की चाय एंटीऑक्सीडेंटल प्रॉपर्टी वाली हैं ।यह चाय चुने वाली चाय से थोड़ी बेहतर है।

7. केवड़ा डालकर या खस डाला हुआ जल सिर्फ गर्मियों (मार्च,अप्रैल, मई,जून) में पियें, बरसात शुरू होते ही इसे पीना बंद कर दें।

8. सुबह दूध नहीं पीना है, लेकिन फिर भी अगर सुबह दूध पीना है तो आंवले के साथ में पियें।

9. भारत में 1750 के पहले कहीं भी चाय का नामोनिशान नहीं था। जिनका ब्लड प्रेशर लो रहता है। चाय उनके लिए दवा है। दूसरे नवंबर पर कॉफी है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर नॉर्मल और हाई रहता है, चाय उसके लिए जहर है। ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों का रक्तचाप लो होता है। गर्म देश में रहने वाले लोगों का पेट सामान्य से अधिक अम्लीय होता है और ठंडे देशों के लोगों का पेट सामान्य से कम अम्लीय होता है।

10. भारत के लोगों का रक्त एसिडिटी के मामले में PH स्केल पर 6.4, 6.5, 6.8 तक चला जाता है यूरोप और अमेरिका में 8 से ऊपर ही रहता है यहां के लोगों का रक्त थोड़ा अच्छा ही होता है।

11. अर्जुन की छाल का काढ़ा जीरे का कड़ा ज्वाइन काकड़ा आदि छड़ी होते हैं।

अर्जुन की छाल

close up photograph of green leaves
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1. अर्जुन की छाल का काढ़ा हमेशा औषधि के रूप में ही पिए। चाय और कॉफी कभी मत पिएं ।अर्जुन की छाल का काढ़ा से रक्त से कचरे को साफ कर देता है जिससे हृदयाघात जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। नवंबर, दिसंबर,जनवरी,फरवरी इन 4 महीनों में अर्जुन की छाल का काढ़ा अवश्य पीना चाहिए।

2. आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर+ एक गिलास पानी+ गुड़+ दालचीनी+ तुलसी का पत्ता + नींबू + काली मिर्च + हरे पत्ते वाली चाय + शार्ट मिलाकर पी सकते हैं।

3. शॉर्ट में अदरक से ज्यादा गुणकारी तत्व पाए जाते हैं। 3 महीने के बच्चों को अजवाइन की छाछ दी जा सकती है।

4. अर्जुन की छाल से पथरी होने की शंका ना के बराबर है। पथरी चुना अधिक मात्रा में खाने की स्थिति में ही हो सकती है अन्यथा नहीं।

5. काढ़ा शाम को पी सकते हैं लेकिन सुबह सबसे अच्छा होता है, काढ़ा पीना।

6. चाय पीने वालों को चीनी के स्थान पर गुड़ का प्रयोग करना चाहिए। चीनी के प्रयोग से शरीर में अम्लता बढ़ती है और गुड़ के प्रयोग से दूध मिलाने की आवश्यकता नहीं होगी और इस चाय में थोड़ा नींबू डालकर इसे न्यूट्रल करके पी सकते हैं। इसको पीने से पहले पानी जरूर पिएं संभव हो तो हरे पत्ते की ही चाय पिएं हरे पत्ते की चाय एंटीऑक्सीडेंटल प्रॉपर्टी वाली हैं ।यह चाय चुने वाली चाय से थोड़ी बेहतर है।

7. केवड़ा डालकर या खस डाला हुआ जल सिर्फ गर्मियों (मार्च,अप्रैल, मई,जून) में पियें, बरसात शुरू होते ही इसे पीना बंद कर दें।

8. सुबह दूध नहीं पीना है, लेकिन फिर भी अगर सुबह दूध पीना है तो आंवले के साथ में पियें।

9. भारत में 1750 के पहले कहीं भी चाय का नामोनिशान नहीं था। जिनका ब्लड प्रेशर लो रहता है। चाय उनके लिए दवा है। दूसरे नवंबर पर कॉफी है। जिन लोगों का ब्लड प्रेशर नॉर्मल और हाई रहता है, चाय उसके लिए जहर है। ठंडे इलाकों में रहने वाले लोगों का रक्तचाप लो होता है। गर्म देश में रहने वाले लोगों का पेट सामान्य से अधिक अम्लीय होता है और ठंडे देशों के लोगों का पेट सामान्य से कम अम्लीय होता है।

10. भारत के लोगों का रक्त एसिडिटी के मामले में PH स्केल पर 6.4, 6.5, 6.8 तक चला जाता है यूरोप और अमेरिका में 8 से ऊपर ही रहता है यहां के लोगों का रक्त थोड़ा अच्छा ही होता है।

11. अर्जुन की छाल का काढ़ा जीरे का कड़ा ज्वाइन काकड़ा आदि छड़ी होते हैं।

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