
स्वस्थ जीवन शैली के 10 महत्वपूर्ण तरीके
1. सूर्य उदय से ढाई घंटे तक जठराग्नि के काम करने का सबसे अच्छा समय है अर्थात सुबह 7:00 बजे से 9:30 बजे तक। हृदय के काम करने का सबसे अच्छा समय है ब्रह्म मुहूर्त से ढाई घंटे पहले अर्थात 2:00- 2:15 बजे से लेकर सुबह 4:00- 4:30 बजे तक हृदय सबसे ज्यादा सक्रिय होता है और सबसे ज्यादा ह्रदय घात इसी समय में आते हैं।
2. दोपहर का भोजन सुबह के भोजन का आधा होना चाहिए। शाम का भोजन दोपहर के भोजन का आधा होना चाहिए अर्थात यदि आप सुबह 6 रोटी खाते हैं तो दोपहर को चार रोटी ले लीजिए और शाम को दो रोटी ले लीजिए।
3. भोजन में मन की संतुष्टि पेट की संतुष्टि से ज्यादा बड़ी है। मन की संतुष्टि नहीं होने वाले भोजन करते रहने से 10 से 12 साल बाद मानसिक रोग पैदा होने लगते हैं अवसाद जैसी बीमारियां शरीर में प्रवेश करने लगती है। ऐसी स्थिति में कुल 27 तरह की बीमारियां हो सकती है।
4. मनुष्य को छोड़कर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्र का पालन करता है। -दोपहर के बाद जठराग्नि की तीव्रता कम होने लगती है लेकिन सूर्यास्त के समय जठराग्नि की तीव्रता बढ़ जाती है जैसे बुझते हुए दीपक की रोशनी उसके बुझते समय बढ़ जाती है। अतः रात्रि भोजन कभी न करें। सूरज डूबने से 40 मिनट पहले भोजन कर लेना चाहिए।
5. सूरज डूबने के बाद सिर्फ दूध पी सकते हैं जिसमें देसी गाय का दूध सबसे अच्छा है।

6. खाना हमेशा जमीन पर बैठकर ही खाए यानी सुखासन में खाना खायें। सुखासन में बैठकर खाते समय जांघों के नीचे की तरफ रख बहाव रुक जाता है। जिसके कारण सारा रक्त पेट में ही रहता है जो कि खाना पचाने में काफी मदद करता है। इस स्थिति में जठराग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है। गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से नाभि चार्ज होती रहती है। कुर्सी पर बैठने से उसकी तीव्रता घट जाती है और खड़े हो जाने से उसकी तीव्रता बिल्कुल कम हो जाती है। शरीर के अंदर कई चक्र होते हैं जिनका असर जठराग्नि पर पड़ता है। खाना खाते समय खाना जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर रखा होना चाहिए सुखासन के अतिरिक्त गाय का दूध निकालने की जो मुद्रा होती है उसमें भी खाना खा सकते हैं। ये मुद्रा शारीरिक श्रम अधिक करने वाले के लिए है अर्थात किसान अथवा मजदूरों के लिए है। सुखासन में बैठकर खाना खाने से पेट बाहर नहीं निकलता है।लेकिन डाइनिंग टेबल पर खाना खाने से पेट बाहर निकलता है डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर सुखासन में बैठकर खाना खायें हर एक जॉइंट्स में ल्यूब्रिकेंटस के लिए स्लोवियल फ्लू होता है। शरीर जितना अधिक पृथ्वी के नजदीक होगा अर्थात गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव में होगा उतना ही अधिक शरीर को लाभ होगा।
खाना हमेशा जमीन पर बैठकर ही खाए यानी सुखासन में खाना खायें
7. सुबह या दोपहर के खाने के तुरंत बाद कम से कम 20 मिनट की विश्रांति ले। विश्रांति वामकुक्षि अवस्था में लेकर लें अथवा भगवान विष्णु की शेषनाग पर लेटने की मुद्रा में लेटें। हमारे शरीर में तीन नाड़ियां है। सूर्य नाड़ी। चंद्र नाड़ी और मध्य नाड़ी। सूरज नाड़ी ही हमारे भोजन को पचाने में मदद करती हैं। (वाम कुक्षि) बाई तरफ करवट लेकर लेटते ही सूर्य नाड़ी शुरू हो जाती है। स्वस्थ व्यक्ति की अवस्था में खाना खाने की सूर्य नाड़ी सक्रिय हो जाती है। विश्रांति के दौरान नींद आने पर नींद को रोके नहीं। दोपहर का विश्राम 18 वर्ष से 60 वर्ष तक के लोगों के लिए 40 मिनट से 1 घंटे तक का होना चाहिए, 1 साल से 18 वर्ष और 60 वर्ष से अधिक के लोगों के लिए 1 घंटे से डेढ़ घंटे विश्राम करना चाहिए।
8. खाना पकाते समय शरीर के सभी अंगों से खून पेट की तरफ आता है जिसके कारण शरीर में आलस्य बढ़ता है। इसीलिए मस्तिष्क आराम करना चाहता है। इसके कारण नींद आती है।
9. दोपहर के खाने के बाद नींद लेने के महत्व पर पूरे विश्व में शोध हो रहे हैं जिसके परिणाम के तहत बहुत सारी कंपनियां अपने कर्मचारियों को दोपहर के भोजन के बाद नींद लेने का मौका देती है। जिस कर्मचारियों को नींद लेने की छूट दी गई है, उसके काम करने की क्षमता 3 गुना बढ़ गयी है। खाना खाने के बाद शरीर का रक्त दबाव बढ़ जाता है। इसलिए भी सुबह या दोपहर के खाने के बाद 20 से 40 मिनट का आराम करना ही चाहिए।
10. मनुष्य को छोड़कर जीव जगत का हर प्राणी इस सूत्र का पालन करता है।