“पित्त प्राकृतिक और वात प्राकृतिक व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य सुझाव”

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(पित्त के प्रभाव वाले लोगों की दिनचर्या 14 वर्ष से 60 वर्ष तक)

1.–14 वर्ष से लेकर 60 वर्षों तक पूरा शरीर पित्त के प्रभाव में होता है। पित्त के लोगों का कफ कम हो जाता है और बात बहुत कम होता है। पित्त प्राकृति के लोगों की नींद 6 घंटे कम से कम और अधिक से अधिक 8 घंटे होनी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में पित्त प्रकृति के लोगों का जगना बहुत आवश्यक है अथवा सुबह 4:00 बजे जाग जाएं।

अर्जुन के पेड़ की दातुन

2.–पित्त प्रकृति के लोगों को दांत कसाय अथवा कड़वी और तिक्त वाली वस्तुओं से साफ करना चाहिए अथवा नीम की दातुन करें। मदार, बाबुल, अर्जुन, आम, अमरूद आदि की दातुन करें। जनवरी से बरसात आने तक बरसात शुरू होने के बाद नहीं। इस समय में नीम की दातुन पित्त को संतुलित करेगी इस समय में नीम के अतिरिक्त मदार या बबूल की दातुन भी कर सकते हैं। बरसात के मौसम में आम की दातुन या अर्जुन के पेड़ की दातुन ठंडी के मौसम में अमरूद या जामुन की दातुन करें। पूरे साल भी नीम की दातुन कर सकते हैं लेकिन तीन-तीन महीने के बाद कुछ दिन छोड़कर और उन दिनों में गाय के गोबर की राख का दंत मंजन कर ले। दूसरा दंत मंजन किसी भी क्षेत्र की तासीर के हिसाब से तेल+ हल्दी+ नमक मिलाकर दांत साफ कर सकते हैं।

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गाय के गोबर का दंत मंजन

3.–गाय के गोबर की राख+ कपूर+ फिटकरी+ नमक मिलाकर, गाय के गोबर का दंत मंजन बना सकते हैं। दंत मंजन के लिए बारीक त्रिफला चूर्ण पीसें और थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर करें। खाने के लिए त्रिफला चूर्ण थोड़ा मोटा पीसें। ऐसे ही 8 से 10 तरह के मंजन है और 12 तरह की दातुन है। सुबह-सुबह की लार पित्त को संतुलित करती है। अतः इसे दातुन करते समय पेट में जाने देना चाहिए। पेस्ट में सेक्रिन के रूप में चीनी होती है। चीनी और पित्त में बनती नहीं है। सुबह-सुबह मीठा (चीनी के रूप में यह सेक्रिन के रूप में) यदि मुंह में लगातार जाता है तो बहुत जल्दी दांत खराब होंगे।

4.–सभी पेस्ट मरे हुए जानवरों की हड्डियों से बन रहे हैं। कोलगेट मरे हुए शुगर की हड्डियों से और पेप्सोडेंट बन रहा है। मरे हुए गाय की हड्डियों से तथा क्लोजअप और फांरहंस बन रहे हैं बकरे और बकरियों की हड्डियों से।

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वित्त प्राकृति के लोगों को मालिश और व्यायाम दोनों करना चाहिए।

5.—त्रिफला चूर्ण का दत्त मंजन किसी भी ऋतु में किया जा सकता है। वित्त प्राकृति के लोगों को मालिश और व्यायाम दोनों करना चाहिए। बात के रोगियों के लिए मालिश पहले व्यायाम बाद में। पित्त की प्रधानता वाले व्यक्तियों के लिए व्यायाम पहले मालिश बाद में। शरीर में बगल में पसीना आने पर बयान बंद कर दें।

6.–भारत की जलवायु के हिसाब से यहां रोज सुबह-सुबह दौड़ना नहीं चाहिए। क्योंकि दौड़ते समय वात बहुत प्रबल होता है। भारत वात प्रकृति का देश है। यानी रुक्ष देश है जहां सुखी हवा चलती है। ऐसे व्यायाम जो धीरे-धीरे किए जाते हैं जैसे भारत की प्रकृति के हिसाब से सूर्य नमस्कार जो सबसे अच्छा है इसके अलावा छोटे छोटे स्तर के कोई भी व्यायाम जिसमें पसीना ना निकले। माताओं को व्यायाम की जरूरत नहीं है यदि वह रसोई घर के काम में लगी हैं। खास कर उनके लिए जो माताएं चक्की चलाती हैं या सिलबट्टे पर चटनी बनाती हैं।बहनों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है कमर से आगे की तरफ झुकना, जितना झुक पायें , उतनी ही झुकें।

7.–माताओं और बहनों के लिए भी मालिश जरूरी है। शरीर मालिश के साथ-साथ सिर की, कान की और तलवों की ज्यादा मालिश करनी है। मालिश के बाद स्नान करना है। स्नान उबटन आदि से करना है। इसके बाद भोजन तथा भोजन के बाद 20 मिनट का विश्राम या 10 मिनट वज्रासन। फिर दिन के कार्यकलाप उसके बाद शाम को 6:00 से 7:00 का भोजन, फिर 2 घंटे बाद सोना, पित्त वालों का इसी प्रकार का नियम है।

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