आम की दातुन
दातुन करने से खर्च बचेगा। एक बार पेस्ट करने में डेढ़ से 2 ग्राम पेस्ट इस्तेमाल होता है और एक आदमी अपनी उम्र के 60 साल तक यदि पेस्ट रगड़ता है तो उसका खर्चा लाखों में होता है। इसीलिए दातुन करें। नीम की दातुन, बाबुल की दातुन, पाकड़ की दातुन, करन्ज की दातुन, अमरूद की दातुन, आम की दातुन करना चाहिए। ऐसे ही कुछ 12 तरह की दातुन होती है। एक दातुन को 7 दोनों तक कर सकते हैं।
Table of Contents

टूथब्रश
टूथब्रश में प्लास्टिक के ब्रसल्स होते हैं। इसमें मसूड़े छिल जाते हैं और कमजोर हो जाते हैं। दांत कमजोर हो जाता है। ब्रसल्स के नीचे कचरा जमा हो जाता है, उस पर हजारों कीटाणु जिंदा बैठते हैं। यह बहुत ही खतरनाक काम है।
जिस वस्तु से सेविंग क्रम में और वाशिंग पाउडर में झाग बनता है, वही वस्तु टूथपेस्ट में भी मिलाई जाती है। उसे सोडियम लॉरेल सल्फेट कहते हैं। यह केमिकल कैंसर कर देता है।
अमेरिका और यूरोप के देशों में टूथब्रश चेतावनी के साथ बिकते हैं। यह कैंसर है । 6 साल से छोटे बच्चों को यह टूथपेस्ट कभी नहीं कराये। गलती से अगर बच्चे ने टूथपेस्ट कर लिया है तो अस्पताल लेकर जाएं । यह केमिकल एक बूंद यदि आपके जीव पर गिरा दे तो जब पर भी कैंसर हो जाएगा। यदि दांत हमेशा दातून से साफ करें।
— हल्दी +सरसों का तेल+ सेंधा नमक
— गाय के गोबर की राख+ नमक+ फिटकरी
— नींबू के छिलके को उलट कर थोड़ा नमक छिड़ककर दातों पर घिसें।
— आम के पेड़ के पत्ते को चबाने के बाद जो लुगदी बनती है, उसे दांतों को रगड़ें।
ज्यादातर टूथपेस्ट मरे हुए जानवरों की हड्डियों के चूर्ण से बनते हैं। हमारे देश के हजारों कत्लखाना से जानवरों की हड्डियां टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं । हड्डियों को बोन कैंसर में डालकर उसका पाउडर बनाते हैं और उसी को पेस्ट में मिलाते हैं। दातुन के लिए हर साल अपने और अपने परिवार के बच्चों के जन्मदिन पर एक पेड़ लगाएं।

नीम की दातुन,
दातुन करने से खर्च बचेगा। एक बार पेस्ट करने में डेढ़ से 2 ग्राम पेस्ट इस्तेमाल होता है और एक आदमी अपनी उम्र के 60 साल तक यदि पेस्ट रगड़ता है तो उसका खर्चा लाखों में होता है। इसीलिए दातुन करें। नीम की दातुन, बाबुल की दातुन, पाकड़ की दातुन, करन्ज की दातुन, अमरूद की दातुन, आम की दातुन करना चाहिए। ऐसे ही कुछ 12 तरह की दातुन होती है। एक दातुन को 7 दोनों तक कर सकते हैं।
दांत कमजोर हो जाता है
टूथब्रश में प्लास्टिक के ब्रसल्स होते हैं। इसमें मसूड़े छिल जाते हैं और कमजोर हो जाते हैं। दांत कमजोर हो जाता है। ब्रसल्स के नीचे कचरा जमा हो जाता है, उस पर हजारों कीटाणु जिंदा बैठते हैं। यह बहुत ही खतरनाक काम है।
जिस वस्तु से सेविंग क्रम में और वाशिंग पाउडर में झाग बनता है, वही वस्तु टूथपेस्ट में भी मिलाई जाती है। उसे सोडियम लॉरेल सल्फेट कहते हैं। यह केमिकल कैंसर कर देता है।
अमेरिका और यूरोप के देशों में टूथब्रश चेतावनी के साथ बिकते हैं।
अमेरिका और यूरोप के देशों में टूथब्रश चेतावनी के साथ बिकते हैं। यह कैंसर है । 6 साल से छोटे बच्चों को यह टूथपेस्ट कभी नहीं कराये। गलती से अगर बच्चे ने टूथपेस्ट कर लिया है तो अस्पताल लेकर जाएं । यह केमिकल एक बूंद यदि आपके जीव पर गिरा दे तो जब पर भी कैंसर हो जाएगा। यदि दांत हमेशा दातून से साफ करें।

दत्त मंजन
— हल्दी +सरसों का तेल+ सेंधा नमक
— गाय के गोबर की राख+ नमक+ फिटकरी
— नींबू के छिलके को उलट कर थोड़ा नमक छिड़ककर दातों पर घिसें।
— आम के पेड़ के पत्ते को चबाने के बाद जो लुगदी बनती है, उसे दांतों को रगड़ें।
ज्यादातर टूथपेस्ट मरे हुए जानवरों की हड्डियों के चूर्ण से बनते हैं। हमारे देश के हजारों कत्लखाना से जानवरों की हड्डियां टूथपेस्ट बनाने वाली कंपनियां खरीदती हैं । हड्डियों को बोन कैंसर में डालकर उसका पाउडर बनाते हैं और उसी को पेस्ट में मिलाते हैं। दातुन के लिए हर साल अपने और अपने परिवार के बच्चों के जन्मदिन पर एक पेड़ लगाएं।
3 thoughts on ““दातुन का महत्व: नेचुरल और सुरक्षित दातुन के फायदे””