“स्वस्थ जीवन शैली: आयुर्वैदिक कला और उपचार”

नोट: इस भाग में बताए गए सभी उपचार, भाग 1 में दिए गए स्वस्थ रहने के नियमों के पालन करने पर ही लाभकारी होंगे।

स्वस्थ जीवन शैली

  1. फलों का रस रात में नहीं खानी चाहिए।

2. घी या तेल की चीजें खाने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि एक-डेढ़ घंटे के बाद पानी पीना चाहिए।

3. भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना या दौड़ना हानिकारक है। इसीलिए कुछ देर आराम करके ही जाना चाहिए।

4. शाम को भोजन के बाद शुद्ध हवा में टहलना चाहिए खान के तुरंत बाद सो जाने से पेट की गड़बड़ियां हो जाती है।

5. प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए और खुली हवा में व्यायाम या शरीर श्रम आवश्यक करना चाहिए।

6. तेज धूप में चलने के बाद, शारीरिक मेहनत करने के बाद या शौच जाने के तुरंत बाद पानी कदापि नहीं पीना चाहिए।

7. केवल शहद और घी बराबर मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिए वह विष हो जाता है।

8. खाने पीने में विरोधी पदार्थों को एक साथ नहीं लेना चाहिए जैसे दूध और कटहल, दूध और दही, मछली और दूध आदी चीजें एक साथ नहीं लेनी चाहिए।

9. सर पर कपड़ा बांधकर या मोजे पहनकर कभी नहीं सोना चाहिए।

10. बहुत तेज या धीमी रोशनी में पढ़ाई, अत्यधिक टी वी या सिनेमा देखना, अधिक गर्म-ठंडी चीजों का सेवन करना, अधिक मिर्च मसाला का प्रयोग करना, तेज धूप में चलना इन सबसे बचना चाहिए। यदि तेज धूप में चलना भी हो तो सिर पर या काम पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिए।

11. रोगी को हमेशा गर्म अथवा गुनगुना पानी ही पिलाना चाहिए और रोगी को ठंडी हवा, परिश्रम, तथा क्रोध से बचना चाहिए।

12. आयुर्वेद में लिखा है कि निंद्रा से कफ शांत होता है, मालिश से वायु कम होती है, उल्टी से पित्त कम होता है, और लंघन (भूखा रहना) करने से बुखार शांत होता है। इसके लिए घरेलू चिकित्सा करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

13. आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर जले भाग को ठंडे पानी में डालकर रखना चाहिए।

कान में दर्द

14. कान में दर्द होने पर यदि पत्तों का रस कान में डालना हो तो सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद ही डालना चाहिए।

15. किसी भी रोगी को तेल, घी या अधिक चिकने पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

16. अजीर्ण तथा मंदाग्नि दूर करने वाली दवाई हमेशा भोजन के बाद ही लेनी चाहिए।

17. मल रुकने या कब्ज होने की स्थिति में यदि दस्त कराने हों तो प्रातः काल ही कराने चाहिए, रात्रि में नहीं।

18. यदि घर में किशोरी या युवती को मिर्गी के दौरे पड़ते हो तो उसे उल्टी दस्त या लंघन नहीं कराना चाहिए।

19. यदि किसी दवा को पतले पदार्थ में मिलाना हो तो चाय, कॉफी या दूध में न मिलाकर छाछ, नारियल पानी या सादे पानी में ही मिलाना चाहिए।

20. हींग को सदैव देशी घी में भून कर ही उपयोग में लाना चाहिए। लेप में कच्ची हींग लगानी चाहिए।

21. पुस्तक में दिए गए उपचारों में से एक बार में एक ही उपचार उपयोग करें और किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

purple petaled flowers in mortar and pestle
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आयुर्वैदिक कला और उपचार

22. फलों का रस, अत्यधिक तेल की चीजें, मठ्ठा खट्टा चीज रात में नहीं खानी चाहिए

23. घी या तेल की चीजें खाने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि एक-डेढ़ घंटे के बाद पानी पीना चाहिए।

24. भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना या दौड़ना हानिकारक है। इसीलिए कुछ देर आराम करके ही जाना चाहिए।

25. शाम को भोजन के बाद शुद्ध हवा में टहलना चाहिए खान के तुरंत बाद सो जाने से पेट की गड़बड़ियां हो जाती है।

26. प्रातः काल जल्दी उठना चाहिए और खुली हवा में व्यायाम या शरीर श्रम आवश्यक करना चाहिए।

abstract beach bright clouds
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तेज धूप

27. तेज धूप में चलने के बाद, शारीरिक मेहनत करने के बाद या शौच जाने के तुरंत बाद पानी कदापि नहीं पीना चाहिए।

milk and honey on wooden tray
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शहद और घी

28. केवल शहद और घी बराबर मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिए वह विष हो जाता है।

29. खाने पीने में विरोधी पदार्थों को एक साथ नहीं लेना चाहिए जैसे दूध और कटहल, दूध और दही, मछली और दूध आदी चीजें एक साथ नहीं लेनी चाहिए।

30. सर पर कपड़ा बांधकर या मोजे पहनकर कभी नहीं सोना चाहिए।

31. बहुत तेज या धीमी रोशनी में पढ़ाई, अत्यधिक टी वी या सिनेमा देखना, अधिक गर्म-ठंडी चीजों का सेवन करना, अधिक मिर्च मसाला का प्रयोग करना, तेज धूप में चलना इन सबसे बचना चाहिए। यदि तेज धूप में चलना भी हो तो सिर पर या काम पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिए।

glass jug with water and lime
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गुनगुना पानी

32. रोगी को हमेशा गर्म अथवा गुनगुना पानी ही पिलाना चाहिए और रोगी को ठंडी हवा, परिश्रम, तथा क्रोध से बचना चाहिए।

33. आयुर्वेद में लिखा है कि निंद्रा से कफ शांत होता है, मालिश से वायु कम होती है, उल्टी से पित्त कम होता है, और लंघन (भूखा रहना) करने से बुखार शांत होता है। इसके लिए घरेलू चिकित्सा करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

34. आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर जले भाग को ठंडे पानी में डालकर रखना चाहिए।

35. कान में दर्द होने पर यदि पत्तों का रस कान में डालना हो तो सूर्योदय के पहले या सूर्यास्त के बाद ही डालना चाहिए।

36. किसी भी रोगी को तेल, घी या अधिक चिकने पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।

37. अजीर्ण तथा मंदाग्नि दूर करने वाली दवाई हमेशा भोजन के बाद ही लेनी चाहिए।

38. मल रुकने या कब्ज होने की स्थिति में यदि दस्त कराने हों तो प्रातः काल ही कराने चाहिए, रात्रि में नहीं।

39. यदि घर में किशोरी या युवती को मिर्गी के दौरे पड़ते हो तो उसे उल्टी दस्त या लंघन नहीं कराना चाहिए।

40. यदि किसी दवा को पतले पदार्थ में मिलाना हो तो चाय, कॉफी या दूध में न मिलाकर छाछ, नारियल पानी या सादे पानी में ही मिलाना चाहिए।

41. हींग को सदैव देशी घी में भून कर ही उपयोग में लाना चाहिए। लेप में कच्ची हींग लगानी चाहिए।

42. पुस्तक में दिए गए उपचारों में से एक बार में एक ही उपचार उपयोग करें और किसी योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करें।

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