
पीने के नियम जो आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है
1. पानी पीने के सही तरीके, भोजन के अंत में या बीच में पानी पीना विष पीने के बराबर है। कम से कम 8 घंटे के बाद पानी पीना चाहिए खाया हुआ भोजन डेढ़ घंटे तक जठराग्नि के प्रभाव में रहता है। किसान और मेहनत के काम करने वाले लोगों के लिए एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। जानवरों के शरीर में 4 घंटे तक जठराग्नि का प्रभाव होता है। पहाड़ी क्षेत्र में अग्नि का असर 2 से ढाई घंटे तक रहेगा। भोजन से पहले पानी कम से कम 40 मिनट या अधिक से अधिक 1 घंटे पहले पी लेना चाहिए। चाहें जितना पानी पी सकते हैं।
2. सुबह उठते ही दांत-मुंह धोये बिना सबसे पहले पानी पियें।
3. यदि आपके भोजन में 2 अन्य हैं तो एक अन्य की समाप्ति और दूसरे अन्न की शुरुआत के पहले एक से दो घूंट पानी पी सकते हैं। भोजन के अंत में गला साफ करने के लिए एक से दो घूंट पानी पी सकते हैं।
4. भोजन के अंत में सबसे अच्छी चीज मट्ठा-छाछ है, पीने के लिए जिसको पीने का सही समय दोपहर के भोजन के बाद का है। दूसरी सबसे अच्छी चीज है -दूध (देशी गाय का) जिसको शाम के खाने के बाद पी सकते हैं। दूध सोते समय पियें तो और अच्छा है। तीसरी सबसे अच्छी चीज है, मौसमी फल के रस जिसका सही समय है सुबह के भोजन के बाद। कोल्ड स्टोरेज के फलों का रस सर्वनाश करेगा। हमेशा पेट में जो रस बनते हैं, उनको पचाने के लिए वो इसी कर्म( समय) में बनते हैं। जो बच्चे मां के दूध पर निर्भर है (3 साल तक) उनके ऊपर यह नियम लागू नहीं होता है क्योंकि बच्चों के अंदर रसों का निर्माण उसकी उम्र के डेढ़ 2 साल बाद ही शुरू होता है।
5. फल खाना जूस पीने से बहुत अच्छा माना गया है। क्योंकि जूस में सारे फाइबर बाहर निकल जाते हैं। फाइबर ब्लड को साफ करता है। बड़ी आत छोटी आत को साफ करता है। हृदयाघात। ट्राइग्लिसराइड। कोलेस्ट्रोल। नियंत्रित करेगा। जूस में थोड़ा काला नमक डालकर पिए या अदरक का रस यातना डालकर पिए, कभी भी सर्दी नहीं होगी सर्दी नहीं होगी। यह गिलास जूस में चौथाई चम्मच अदरक का रस, काला नमक कनक( गेहूं) के दाने के बराबर का चुनाव ही इतना ही मिला लें।
6. पानी हमेशा चुस्कियां ले लेकर पिए अर्थात पानी हमेशा घूंट घूंट करके पियें। हमारे शरीर में भोजन पचाने के लिए अग्नि होती है और अग्नि को तीव्र करने के लिए अम्ल होता है और मुंह में क्षार बनता है। लार के रूप में अम्ल और छार आपस में मिलकर न्यूट्रल हो जाते हैं। अम्ल का मतलब जिनका ph7 से कम है और क्षार का मतलब जिनका ph7 से अधिक है। न्यूट्रल का मतलब जिनका PH 7 है। पानी न्यूट्रल है, पेट हमेशा पानी के जैसा रहे तो सबसे अच्छा है।
पानी पीने के सही तरीके
7. पानी घूंट घूंट कर पीने से लार अधिक मात्रा में पेट में जाएगी तो अम्ल को शांत करने में मदद होगी जिससे आपका पेट निकल रहेगा। सभी जानवर पशु, पक्षी घुट घुट कर या चाट चाट कर पानी पीते हैं इसीलिए ये मनुष्य से ज्यादा स्वस्थ है। पानी घूंट घूंट कर पीने से वजन नहीं बढ़ता है अर्थात शरीर की बनावट के हिसाब से संतुलित रखता है।
8. ठंडा पानी कभी मत पियें। शरीर में तापमान के बराबर का ही पानी पियें।मतलब गुनगुना पानी पिए अर्थात 27° से 37° के बीच का ही पानी पिए (मौसम के हिसाब से)। मिट्टी के बर्तन का पानी 27° तापमान का होता है। ऐसा मिट्टी की तासीर के कारण होता है
9. ठंडा पानी पीने से पेट को उसे सामान्य तापमान पर लाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है और अतिरिक्त ऊर्जा के लिए अतिरिक्त खून की जरूरत होती है। जिससे की अलग-अलग हिस्सों से इसकी पूर्ति होती है। इससे उन हिस्सों में खून की कमी होने लगती है और ऐसा बार-बार करने से कई बीमारियां शरीर में जन्म लेने लगती है इस क्रिया में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सबसे ज्यादा दिमाग से रक्त आता है, उसके बाद हृदय का घाट आना आता है। रक्त की कमी के कारण अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसीलिए इसके कारण ब्रेन हेमरेज, लकवा, हृदयाघात जैसी बीमारियां हो सकती है।
10. ठंडा पानी पीने से सबसे पहली बीमारी कोष्ठबध्दता की होती है। क्योंकि ठंडा पानी पीते रहने से बड़ी आत संकुचित हो जाती है। फ्रिज का पानी, बर्फ डाला हुआ पानी और आइसक्रीम जैसी वस्तुएं ना खाएं।
11. सुबह गुनगुना पानी पिएं अथवा तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी पियें (सिर्फ सुबह)। प्लास्टिक या अल्युमिनियम के बर्तन का पानी कभी मत पिएं, पानी का अपना कोई गुण नहीं होता है इसे जिस में मिलाया जाता है उसी का गुण धारण कर लेता है। पानी हमेशा बैठकर ही पिएं। 18 वर्ष से कम के लोगों के लिए 750 ग्राम, 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच के लोगों के लिए 1:00 से 1:15 लीटर तथा 60 वर्ष से अधिक के लोगों के लिए 750 ग्राम पानी पीना आवश्यक है।
12. शरीर में तांबे की अधिकता की स्थिति में सुबह का पानी ताम्रपत्र का ना पिएं। तांबे के बर्तन का पानी पीते समय नंगे पांव न रहें, अर्थात लकड़ी या प्लास्टिक जैसी ही किसी वस्तु को पैरों में धारण करके ही पिएं तांबे का पानी पीते समय जमीन से शरीर का सीधा संपर्क न हो।
समान रूप से 4 से 5 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।
13. खड़े होकर और जल्दी-जल्दी पानी पीने से दो गंभीर रोग होते हैं, जिसमें पहला है हर्निया (आंत का उतरना) और दूसरा है अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स) 60 वर्ष से अधिक उम्र में एक बीमारी हाइड्रोसील की भी हो सकती है। पानी हर व्यक्ति को अपने वजन में 10 से भाग देकर दो घटाकर दिन भर में पानी पीने की मात्रा की गन्ना कर सकते हैं। समान रूप से 4 से 5 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए।
14. एक साथ गटागट पिया हुआ पानी किडनी पर सबसे अधिक दबाव देता है। क्योंकि शरीर में पानी को छानने का काम की किडनियां दोनों करती है। इस प्रकार पानी पीने से शरीर को कोई लाभ नहीं होता है। ऐसा अमेरिका के 2 वैज्ञानिकों के शोध से पता चला है। जापान की सरकार ने अपनी चिकित्सा पद्धति में इसको शामिल किया है।
15. नाभि पूरे शरीर का केंद्र है और बैठने की स्थिति में पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल नाभि पर लगता है और खड़े हो जाने की स्थिति में गुरुत्व केंद्र नाभि से खिसक जाता है। गुरुत्व बल का नाभि पर प्रभाव होने से इसका प्रभाव जठराग्नि पर पड़ता है जिसके कारण सुखासन में बैठने की स्थिति में कुछ भी खाने पीने से जल्दी और पूरी तरह हजम हो जाता है। क्योंकि ऐसी स्थिति में एक अतिरिक्त बल काम करता है। किसी मजबूरी की स्थिति में पानी हमेशा झुककर पिएं ।पानी पीते समय या कुछ भी खाते समय गुरुत्व बल हमेशा नाभि के नजदीक रहे। प्याऊ की व्यवस्था हजारों सालों से चल रही है।
16. शरीर को अच्छी तरह काम करने के लिए शरीर को कम से कम 27 डिग्री और अधिक से अधिक 47 डिग्री का तापमान चाहिए। लगातार ठंडा पानी पीते रहने से जठराग्नि मंद हो जाती है बड़ी आंख और छोटी आंख सिकुड़ जाती है।
17. बारिश का पानी सबसे अच्छा होता है। यह पानी 1 साल तक आराम से पी सकते हैं बिना कोई केमिकल मिलाये। बीच-बीच में फिटकरी या चुनने के प्रयोग से इसकी शुद्धता को बनाए रख सकते हैं। इसके बाद बहती हुई नदियों का पानी जो बर्फीले पहाड़ों से होकर गुजरता है अर्थात पहाड़ों से होकर आता है, सबसे अच्छा होता है। इसके बाद तलाव का पानी अच्छा है जहां बारिश का पानी इकट्ठा होता है। नल का पानी जो बारिश के पानी से छनकर आता है। MCD के पानी को बिना उबाले ना पिए। आरो के पानी की गुणवत्ता कम हो जाती है क्योंकि इसके शुद्धीकरण के प्रयोग किए जाते हैं जाने वाले केमिकल पानी की पोषकता को समाप्त कर देते हैं। आरो का पानी साफ होता है लेकिन शुद्ध नहीं होता है। आरो के पानी में क्लोरीन क्लोरीन जैसे केमिकल पानी को साफ करने के लिए इस्तेमाल होते हैं जो कि हमारे शरीर की दृष्टि से यह सारे केमिकल बहुत ही हानिकारक है। इसलिए पानी को उबालकर पिए सबसे अच्छा रहेगा। रीसायकल किया हुआ पानी बिना उबाले कभी ना पिए। ऐसे पानी को उबालने के बाद इसकी गुणवत्ता और अधिक बढ़ जाती है।
तांबे का बर्तन में रखा हुआ पानी पीना सबसे अच्छा है।
18. होली के बाद और बारिश के पहले दिन तक मिट्टी के बर्तन का पानी पिएं बारिश के पहले दिन से बारिश के अंतिम दिन तक तांबे का बर्तन में रखा हुआ पानी पीना सबसे अच्छा है। बारिश समाप्त होने के दिन से होली के दिन तक सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी अच्छा होता है।
19. मानसिक रोगों से पीड़ित लोगों के लिए सोने का पानी बहुत अच्छा होता है। अल्प विकसित मस्तिष्क की बीमारी में सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी अच्छा होता है। कफ की सभी बीमारियों के लिए सबसे अच्छा है सोने के बर्तन में रखा हुआ पानी। सर्दी, खासी, जुकाम, माइग्रेन (लेफ्ट राइड) ये सारी कफ की बीमारियां हैं।
20. छाती से लेकर सिर तक सारे गहरे सोने के होते हैं ताकि कफ नियंत्रित रहे। छाती से नीचे सभी गहने चांदी के होते हैं। ग्रहों की स्थिति से निपटने के लिए सोने की अंगुठियां पहनी जाती है अन्यथा अंगूठियां चांदी की होनी चाहिए।
21. नींद न आना और अवसाद की बीमारियों के लिए शीशे के बर्तन में रखा हुआ पानी सबसे अच्छा होता है।
पानी पीने के सही तरीके
22. एक बार पानी गर्म करके सुबह से शाम तक किया जा सकता है। ज्वआइन्डइस ( पीलिया) की बीमारियों के लिए सबसे अच्छा पानी बारिश का होता है।