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आहार के अद्वितीय रूप
पित्त की बीमारियां और उसकी चिकित्सा गर्मी के दिनों में पित्त धड़कता है, इसलिए ऐसा खाना चाहिए जो जल्दी हजम हो सके। बारिश के दिनों में पित्त सम रहता है। इसलिए बरसात के महीना में भोजन हल्का होना चाहिए। इस समय शरीर में पानी बहुत होता है। हरी पत्तियों की सब्जियों में पानी अधिक होता है। शरीर के लिए ज्यादा पानी भी अच्छा नहीं है और कम पानी भी अच्छा नहीं है।
अजवाइन – पित्त का शत्रु
अजवाइन पित्त को संतुलित करने में महत्वपूर्ण है। पित्त की बीमारियां जैसे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, मुंह में पानी आना, खाने का हजम न होना, खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी खाने का स्वाद मुंह में रहना, डकारें आना, हिचकी आना आदि को दूर करने में मदद करता है।

धनिया, जीरा, अजवाइन – गैस का दुश्मन
धनिया, जीरा, और अजवाइन खाने से पेट की गैस खत्म हो सकती है। इन्हें खाने से सर्दियों में भी लाभ होता है।

घी – पित्त को संतुलित करने का रामबाण
पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी होता है। इसे बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।
गैस की समस्या होने पर अजवाइन को खाने में शुरू करें या खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल सकता है।

रसोई में 108 चीजें – पित्त को संतुलित करने के लिए
पित्त की बीमारियां , पित्त को सम रखने के लिए अजवाइन के बाद कोई चीज यदि है तो वह है जीरा। काला जीरा, सफेद जीरा से अच्छा होता है। जीरे के बाद रिंग का नंबर आता है। हींग के पहाड़ होते हैं। इसके बाद धनिया का नंबर आता है। जब तक हरा धनिया है जब हरा धनिया खाएं। इसके बाद सूखा धनिया खाएं। दोनों के गुण बराबर होते हैं। पित्त को सम करने के लिए रसोई में कुल 108 चीजें हैं।
पित्त और बरसात के मौसम में आहार का ध्यान रखकर हम अपने स्वास्थ्य को संतुलित रख सकते हैं। इन आहारों को सही तरीके से सेवन करने से हम गर्मी और बरसात के मौसम में भी स्वस्थ रह सकते हैं।
पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी होता है। इसे बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।
गैस की समस्या होने पर अजवाइन को खाने में शुरू करें या खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल सकता है।
पित्त की बीमारियां और उसकी चिकित्सा गर्मी के दिनों में पित्त धड़कता है, इसलिए ऐसा खाना चाहिए जो जल्दी हजम हो सके। बारिश के दिनों में पित्त सम रहता है। इसलिए बरसात के महीना में भोजन हल्का होना चाहिए। इस समय शरीर में पानी बहुत होता है। हरी पत्तियों की सब्जियों में पानी अधिक होता है। शरीर के लिए ज्यादा पानी भी अच्छा नहीं है और कम पानी भी अच्छा नहीं है।
अजवाइन पित्त को संतुलित करने में महत्वपूर्ण है। पित्त की बीमारियां जैसे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, मुंह में पानी आना, खाने का हजम न होना, खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी खाने का स्वाद मुंह में रहना, डकारें आना, हिचकी आना आदि को दूर करने में मदद करता है।