“वृद्ध व्यक्तियों के लिए वात रोग और उपाय”

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वृद्ध व्यक्तियों के लिए वात रोग

1.— वृद्ध व्यक्तियों के लिए वात रोग 60 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में वात शरीर में प्रबल होता है। इन दिनों में वात की समस्याएं होना प्राकृतिक है। जो लोग 60 वर्ष या अधिक के हैं उनके लिए व्यायाम निषेध है। जैसे बच्चों को निषेध है। ऐसे लोगों को मालिश बहुत जरूरी है। जैसे बच्चों की वैसे ही वात वालों की। मालिश सर, तलवे और कान की ज्यादा करनी है। यदि व्यायाम करें तो बिल्कुल हल्का करें पसीने का नियम इन पर लागू नहीं होगा।

2.— वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए। पूजा- पाठ और भगवान की भक्ति ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। वात के लोगों को भाग- दौड़ बहुत कम करनी चाहिए और दिशा निर्देश देने का कार्य ज्यादा करना चाहिए।

3.— मनुष्य मूत्र भी औषधि के रूप में काम आता है। यानी औषधि रूप में कोई भी अपना स्वमूत्र पी सकता है। स्वमूत्र तभी और वही लोग पी सकते हैं जो लोग संपूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। मांस, मदिरा, अंडा आदि का सेवन नहीं करते हों। गौमूत्र हमेशा मनुष्य मूत्र से अच्छा है। सवेरे- सवेरे सोकर उठने के बाद का पहला मंत्र उसमें भी शुरू का थोड़ा छोड़ें और आखिरी का थोड़ा छोड़ें यानी बीच का लेना है। स्वमूत्र 100 से 103 बीमारियों में काम आएगा। वात और कैफ की बीमारियों में बहुत काम आएगा पित्त की बीमारियों में थोड़ा काम आएगा।

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Photo by Steshka Willems on Pexels.com

60 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में वात शरीर में प्रबल होता है

वृद्ध व्यक्तियों के लिए वात रोग 60 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में वात शरीर में प्रबल होता है। इन दिनों में वात की समस्याएं होना प्राकृतिक है। जो लोग 60 वर्ष या अधिक के हैं उनके लिए व्यायाम निषेध है। जैसे बच्चों को निषेध है। ऐसे लोगों को मालिश बहुत जरूरी है। जैसे बच्चों की वैसे ही वात वालों की। मालिश सर, तलवे और कान की ज्यादा करनी है। यदि व्यायाम करें तो बिल्कुल हल्का करें पसीने का नियम इन पर लागू नहीं होगा।

वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए। पूजा- पाठ और भगवान की भक्ति ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। वात के लोगों को भाग- दौड़ बहुत कम करनी चाहिए और दिशा निर्देश देने का कार्य ज्यादा करना चाहिए।

मनुष्य मूत्र भी औषधि के रूप में काम आता है। यानी औषधि रूप में कोई भी अपना स्वमूत्र पी सकता है। स्वमूत्र तभी और वही लोग पी सकते हैं जो लोग संपूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। मांस, मदिरा, अंडा आदि का सेवन नहीं करते हों। गौमूत्र हमेशा मनुष्य मूत्र से अच्छा है। सवेरे- सवेरे सोकर उठने के बाद का पहला मंत्र उसमें भी शुरू का थोड़ा छोड़ें और आखिरी का थोड़ा छोड़ें यानी बीच का लेना है। स्वमूत्र 100 से 103 बीमारियों में काम आएगा। वात और कैफ की बीमारियों में बहुत काम आएगा पित्त की बीमारियों में थोड़ा काम आएगा।

60 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में वात शरीर में प्रबल होता है। इन दिनों में वात की समस्याएं होना प्राकृतिक है। जो लोग 60 वर्ष या अधिक के हैं उनके लिए व्यायाम निषेध है। जैसे बच्चों को निषेध है। ऐसे लोगों को मालिश बहुत जरूरी है। जैसे बच्चों की वैसे ही वात वालों की। मालिश सर, तलवे और कान की ज्यादा करनी है। यदि व्यायाम करें तो बिल्कुल हल्का करें पसीने का नियम इन पर लागू नहीं होगा।

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Photo by Şahin Sezer Dinçer on Pexels.com

वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए

वात के लोगों को आराम अधिक से अधिक करना चाहिए। पूजा- पाठ और भगवान की भक्ति वृद्ध व्यक्तियों के ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। वात के लोगों को भाग- दौड़ बहुत कम करनी चाहिए और दिशा निर्देश देने का कार्य ज्यादा करना चाहिए।

मनुष्य मूत्र भी औषधि के रूप में काम आता है। यानी औषधि रूप में कोई भी अपना स्वमूत्र पी सकता है। स्वमूत्र तभी और वही लोग पी सकते हैं जो लोग संपूर्ण रूप से शाकाहारी हैं। मांस, मदिरा, अंडा आदि का सेवन नहीं करते हों। गौमूत्र हमेशा मनुष्य मूत्र से अच्छा है। सवेरे- सवेरे सोकर उठने के बाद का पहला मंत्र उसमें भी शुरू का थोड़ा छोड़ें और आखिरी का थोड़ा छोड़ें यानी बीच का लेना है। स्वमूत्र 100 से 103 बीमारियों में काम आएगा। वात और कैफ की बीमारियों में बहुत काम आएगा पित्त की बीमारियों में थोड़ा काम आएगा।

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