“स्वस्थ जीवन शैली के सरल सुझाव: आहार, समय, और जीवन के नियम”

“स्वस्थ जीवन शैली के सरल सुझाव: आहार, समय, और जीवन के नियम”

1. कोई भी भोजन पकने के 48 मिनट के अंदर उसका उपभोग हो जाना चाहिए। इसके बाद भोजन की पोषकता कम होने लगती है। 24 घंटे के बाद भोजन बासी हो जाता है। भारत के अलावा, दुनिया के किसी भी देश को रोटी बनाने नहीं आती है। पूरी दुनिया में भारत में ही गरम रोटी मिलने संभव है। बाकी किसी भी देश में गरम रोटी खाने को नहीं मिलती है। बासी भोजन जानवरों के खिलाने के लिए भी नहीं होता है।

2. खाना खाते समय खाने को इतना चबायें कि जितने दांत हों। ऐसा करने से मुंह की लार ज्यादा से ज्यादा पेट में जाती है और खाने को पचाने में मदद करती है। पानी को खाओ और खाने को पियो। चबा- चबाकर खाने से मोटापा नहीं बढ़ता है।

3. भारत की जलवायु में 365 दिनों में सिर्फ एक दिन ही आप बासी भोजन खा सकते हैं और वो दिन है बासोड़ा का (एक त्यौहार) इस दिन शरीर की वात, पित्त और कफ की स्थिति के हिसाब से बासी भोजन ही अच्छा होता है। इस देश के त्योहारों के पीछे भी वैज्ञानिकता है।

4. जो वस्तु देखने में खूब चमक रही हो या चिकनी हो, उसे कभी न खाएं, जैसे साग, सब्जी, फल- फूल आदि। ऐसी वस्तुएं लाने के बाद सेंधा नमक डालकर उबालें और उबले हुए पानी में (थोड़ा ठंडा होने के बाद )डाल दें, जिससे उसका जहर थोड़ा कम हो जायेगा।

5. बीमारियों के इलाज करने से ज्यादा महत्वपूर्ण है, बीमारियों से बचना। इसीलिए खाना खाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है खाने को बचाना। भोजन पचेगा तो रस बनेगा और उसी रस में से मांस, मज्जा ,रक्त ,मल-मूत्र, वीर्य, मेध, अस्थियां बनेंगी जिनका शरीर को काम होता है।

6. भोजन के अंत में या बीच में पानी पीना विष पीने के बराबर है। भोजन पचने की क्रिया में भोजन रस में बदलेगा (लुग्दि बनने के बाद)। भोजन के मुंह में आते ही जठर स्थान पर अग्नि प्रदीप्त होती है। जो भोजन का पाचन करती है और पानी पीते ही अग्नि बुझ जाती है और भोजन के पाचन की क्रिया रुक जाती है। जैसे चूल्हे की अग्नि पर पानी पड़ते ही अग्नि बुझ जाती हैं और भोजन पकाना बंद हो जाता है, उसी प्रकार जठर स्थान की भी पाचन की क्रिया रुक जाती है और उसके बाद भोजन पचेगा नहीं वो सड़ेगा। भोजन सडे़गा तो सबसे पहले वायु बनेगी और इसी वायु से 103 रोग पैदा होंगे। जैसे-एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, पेप्टिक अल्सर, बवासीर,मूढ़व्यआध, भगंदर ,इसी प्रकार सबसे ऑन का रोग है कैंसर।

7. भोजन के साड़ने से ही खराब वाला कोलेस्ट्राल बनेगा। शरीर में 2 तरह के कोलेस्ट्राल होते हैं एक अच्छा वाला( HDL) और खराब वाला (LDLऔर VLDL) कोलेस्ट्राल बढ़ने से हृदयाघात, घुटनों का जड़ हो जाता, संधियों का कड़क हो जाना आदि।

भोजन हमेशा जलवायु के तासीर के अनुसार करें।

8. सुबह-सुबह प्रकृति के द्वारा पकाये हुए फल खाना सबसे अच्छा है अर्थात फल सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त के पहले ही खाएं।

9. भोजन का समय निश्चित करें अर्थात जठराग्नि तीव्र हो तभी भोजन करें हमेशा कुछ न कुछ खाने की अथवा थोड़ा-थोड़ा बार-बार खाने की आदत न डालें।

10. सूर्य के उदय से ढाई घंटे तक जठराग्नि सबसे तीव्र होती है अर्थात इस समय भारी से भारी भोजन करें अर्थात 9:30 बजे के अंदर ही लंच करें अथवा गरिष्ठ से गरिष्ठ भोजन करें। नाश्ता छोड़े और सीधे लंच करें।

11. शाम के भोजन के बाद कम से कम 2 घंटे तक कभी भी तुरंत विश्रांति नहीं लेना चाहिए। तुरंत सोने से हृदयाघात, मधुमेह जैसी बीमारियां प्रवेश करने लगेंगी। संध्या भोजन के बाद चंद्रमा का समय आता है, जो प्राकृति से शीतल होता है जिसके कारण रक्त दबाव रात्रि में कम होता है। अतः रात्रि के भोजन के कम से कम 2 घंटे बाद ही आराम करें। 2 घंटों में कुछ काम करें या कम से कम हजार कदम टहलें। शाम का टहलना सुबह के टहलने से ज्यादा लाभकारी होता है‌ं। खाना खाने के बाद कम से कम 10 मिनट वज्रासन पर जरूर बैठें ।यदि किसी कारणवश सुबह और शाम का खाना खाने के बाद के नियमों का पालन नहीं कर पाते तो है तो ऐसा करना बहुत ही लाभदायक है।

12. रक्त के दबाव का मतलब मस्तिष्क में बहुत ज्यादा रक्त है। अतः खाने को पचाने के लिए रक्त का पेट में होना आवश्यक है। खाने के बाद काम करते रहने से बीपी और अधिक बढ़ता है। कोई भी कार्य करते समय बीपी बढ़ता है और कोई कार्य नहीं करने से बीपी घटता है। अतः पूरे शरीर में खून के दबाव का घटना बढ़ना लगा रहता है जो कि प्राकृतिक रूप से आवश्यक है। अतः बीपी के बढ़ने के तुरंत बाद घटना भी चाहिए। इसीलिए शारीरिक क्रियायें इसे संतुलित करने के लिए होनी चाहिए। सूरज के दबाव में भी रक्तचाप बढ़ता है

13. खाना खाते समय चित और मन शांत रहने चाहिए अन्यथा पेट में पाचन रसों के बनने में कमी आएगी और इस प्रकार की कमी से खाना पूरी तरह नहीं पहुंचेगा। खाना खाने से पहले या खाना खाते समय भजन, मंत्र या भगवान की किसी प्रार्थना के द्वारा जीत और मन दोनों शांत रखना चाहिए।

14. वज्रासन में बैठकर भोजन कभी ना करें। खाना खाने के बाद शहद भी दिया जा सकता है। ऐसा करना जैन दर्शन के हिसाब से सही नहीं है।

15. भोजन हमेशा जलवायु और तासीर के अनुसार करें। भोजन एक बार गर्म करके फ्रिज में रखने के बाद उसे दोबारा कभी मत गर्म करें और कोशिश करें कि फ्रीज में रखी वस्तुओं के निकालने के 48 मिनट बाद ही प्रयोग में लाएं।

16. दिन के खाने के बाद चुने या देसी हरे पत्ते का पान अवश्य खाएं।लेकिन 1 दिन में 1पान से अधिक कभी ना खाएं।जिन्हें पथरी हो या नही हो वो चूना कभी ना खाएं।

17. शरीर से बहुत कम और बहुत अधिक तापमान की वस्तुएं कभी न खाएं। जैसे आइसक्रीम आदि।

18. सभी क्षारिय चीजें, सूरज डूबने के बाद खाएं। जितनी अम्लीय चीजें है, सूरज डूबने से पहले खाए जैसे- हल्के खट्टेपन वाली वस्तुएं, रस वाली वस्तुएं।

19. उपवास या डाइटिंग करके कभी भी वजन कम न करें क्योंकि इससे शरीर में प्रोटीन बहुत कम हो जाती है। शरीर में जिसके कारण एक तरफ वजन कम होगा और दूसरी तरफ जोड़ों का दर्द बढ़ता चला जाएगा। क्षमता में थोड़ा कम खा सकते हैं लेकिन ज्यादा कम ना खाएं

20. भोजन हमेशा जलवायु के तासीर के अनुसार करें।

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