
महत्वपूर्ण विचार
1. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत मनुष्य शरीर ही मोक्ष धारण करता है। जो मनुष्य अपने दुःखों को दूर कर ले और दूसरे के दुःखों को दूर करने का काम करें, वही मोक्ष का अधिकारी है। इसमें सफलता मिले ना मिले यह महत्वपूर्ण नहीं है। ईमानदारी से प्रयास करें, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
तीन तरह के दुःख
2. तीन तरह के दुःख पूरी दुनिया में बताए गए हैं। (1)दैहिक दुःख (शरीर का दुःख), (2)दैविक दुःख (भगवान का दिया हुआ दुःख), (3) भौतिक दुःख (गरीबी का दुःख)। जो व्यक्ति उन तीनों दुःखों से मुक्त है और दूसरों को भी मुक्त करवाने के प्रयास में रत है, वही व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी है।
3. शरीर के दुःख को दूर करने की सबसे बड़ी भूमिका पेट की होती है। 90% दैहिक दुःख पेट से संबंधित है। 10% दुःख ही पेट के अतिरिक्त होते हैं।इसीलिए सबसे ज्यादा ध्यान पेट का रखना चाहिए। ये 90% बीमारियों की संख्या 148 हैं।
4. हमारे समाज में को-ऑपरेशन था,कांम्पटीशन नहीं था। भारत के लोगों का DNA धार्मिक चीजों से ज्यादा प्रेरित रहता है। गर्म देशों का DNA और ठंडे देशों का DNA बिल्कुल अलग होता है। दुनिया के सभी धर्म पूर्व से निकले हैं अर्थात एशिया से निकले हैं और एशिया के देश पश्चिम देशों की तुलना में गर्म है। भारत की भूमि मध्य मार्गियों की भूमि है न ज्यादा भोगी बनोना न ज्यादा त्यागी बनो ऐसा गीता में श्रीकृष्ण भगवान ने कहा है।
5. जन्म होने में पीड़ा होती है मृत्यु तो पीड़ारहित है, ऐसा शास्त्रों में लिखा गया है। भारतीय शास्त्रों में मृत्यु को उत्सव कहा गया है। इसलिए कभी भी व्यक्ति को बीमारियों की पीड़ा सहकर मरना ना पड़े, कुछ ऐसी व्यवस्था करनी होगी।
6. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत भारत के शास्त्रों के अनुसार भारत में या इसकी सभ्यता संस्कृति में सभी लोगों का कर्म, मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से होता है अर्थात् सभी पर्व, उत्सव, क्रियाकलाप आदि मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से किए जाते हैं।
बड़ा धर्म
7. प्यासे को पानी पिलाना और भूखे को रोटी खिलाना बहुत बड़ा धर्म का काम है।
8. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का प्रयोग करें। भारत के सभी लोग समृद्धशाली हों। एक व्यक्ति ठीक होने के बाद दूसरे को ठीक करें। बेकार की वस्तुएं घर में न लायें ।250 साल अंग्रेजों द्वारा लूटे जाने के बाद भारत का हर आदमी गरीब हो गया है। अपने आसपास बनने वाली वस्तुओं का ही प्रयोग करें।
9. जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती है उनकी राजनैतिक स्थिति भी कमजोर होती है और जिनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं होती उनका धर्म ही सुरक्षित नहीं होता है। संस्कृत और सभ्यता भी सुरक्षित नहीं रह सकती है।
जीवन के मूल सिद्धांत
10. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत अपने खून पसीने की कमाई को विचार करो खर्चा करें क्योंकि आप गरीब होंगे तो देश भी गरीब होगा। भेड़ चाल नहीं होनी चाहिए। खर्चों पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से आज अमेरिका जैसा देश चीन का कर्जदार है। अतः खर्चा कम करें, बचत ज्यादा करें। क्योंकि आपके द्वारा बचाया हुआ पैसा देश को परोक्ष रूप से काम आएगा अर्थात उतना पैसा वह बाहर से कर्ज नहीं लेगा, आपसे लेकर काम चलाएगा।

1. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत मनुष्य शरीर ही मोक्ष धारण करता है। जो मनुष्य अपने दुःखों को दूर कर ले और दूसरे के दुःखों को दूर करने का काम करें, वही मोक्ष का अधिकारी है। इसमें सफलता मिले ना मिले यह महत्वपूर्ण नहीं है। ईमानदारी से प्रयास करें, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है।
तीन तरह के दुःख
2. तीन तरह के दुःख पूरी दुनिया में बताए गए हैं। (1)दैहिक दुःख (शरीर का दुःख), (2)दैविक दुःख (भगवान का दिया हुआ दुःख), (3) भौतिक दुःख (गरीबी का दुःख)। जो व्यक्ति उन तीनों दुःखों से मुक्त है और दूसरों को भी मुक्त करवाने के प्रयास में रत है, वही व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी है।
3. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत शरीर के दुःख को दूर करने की सबसे बड़ी भूमिका पेट की होती है। 90% दैहिक दुःख पेट से संबंधित है। 10% दुःख ही पेट के अतिरिक्त होते हैं।इसीलिए सबसे ज्यादा ध्यान पेट का रखना चाहिए। ये 90% बीमारियों की संख्या 148 हैं।
4. हमारे समाज में को-ऑपरेशन था,कांम्पटीशन नहीं था। भारत के लोगों का DNA धार्मिक चीजों से ज्यादा प्रेरित रहता है। गर्म देशों का DNA और ठंडे देशों का DNA बिल्कुल अलग होता है। दुनिया के सभी धर्म पूर्व से निकले हैं अर्थात एशिया से निकले हैं और एशिया के देश पश्चिम देशों की तुलना में गर्म है। भारत की भूमि मध्य मार्गियों की भूमि है न ज्यादा भोगी बनोना न ज्यादा त्यागी बनो ऐसा गीता में श्रीकृष्ण भगवान ने कहा है।
5. जन्म होने में पीड़ा होती है मृत्यु तो पीड़ारहित है, ऐसा शास्त्रों में लिखा गया है। भारतीय शास्त्रों में मृत्यु को उत्सव कहा गया है। इसलिए कभी भी व्यक्ति को बीमारियों की पीड़ा सहकर मरना ना पड़े, कुछ ऐसी व्यवस्था करनी होगी।
6. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत भारत के शास्त्रों के अनुसार भारत में या इसकी सभ्यता संस्कृति में सभी लोगों का कर्म, मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से होता है अर्थात् सभी पर्व, उत्सव, क्रियाकलाप आदि मोक्ष प्राप्ति के उद्देश्य से किए जाते हैं।
बड़ा धर्म
7. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत, प्यासे को पानी पिलाना और भूखे को रोटी खिलाना बहुत बड़ा धर्म का काम है।
8. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत ज्यादा से ज्यादा प्राकृतिक चीजों का प्रयोग करें। भारत के सभी लोग समृद्धशाली हों। एक व्यक्ति ठीक होने के बाद दूसरे को ठीक करें। बेकार की वस्तुएं घर में न लायें ।250 साल अंग्रेजों द्वारा लूटे जाने के बाद भारत का हर आदमी गरीब हो गया है। अपने आसपास बनने वाली वस्तुओं का ही प्रयोग करें।
9. जिनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती है उनकी राजनैतिक स्थिति भी कमजोर होती है और जिनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत नहीं होती उनका धर्म ही सुरक्षित नहीं होता है। संस्कृत और सभ्यता भी सुरक्षित नहीं रह सकती है।
जीवन के मूल सिद्धांत
10. भारतीय संस्कृति और जीवन के मूल सिद्धांत अपने खून पसीने की कमाई को विचार करो खर्चा करें क्योंकि आप गरीब होंगे तो देश भी गरीब होगा। भेड़ चाल नहीं होनी चाहिए। खर्चों पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से आज अमेरिका जैसा देश चीन का कर्जदार है। अतः खर्चा कम करें, बचत ज्यादा करें। क्योंकि आपके द्वारा बचाया हुआ पैसा देश को परोक्ष रूप से काम आएगा अर्थात उतना पैसा वह बाहर से कर्ज नहीं लेगा, आपसे लेकर काम चलाएगा।