
वात को संतुलित रखने के लिए शुद्ध तेल खायें। रिफाइंड, डबल रिफाइंड, ट्रिपल रिफाइंड माने जहर। जो तेल मिलों में निकलने के बाद मिलता है, वह शुद्ध तेल है तेल को रिफाइंड करते समय तेल की चिकनाई निकाल लेते हैं। चिकनाई निकालने के बाद तेल पानी हो जाता है।
तेल की चिकनाई जब एक बार निकाली जाती है तो वह रिफाइंड तेल होता है। दो बार निकालने पर डबल और तीन बार निकालने पर ट्रिपल हो जाता है। चिकनाई खाए लेकिन देखकर खाए कि कौन सी खाने लायक है और कौन सी खाने लायक नहीं है। चिकनाई दो तरह की होती है, एक अच्छी, दूसरी बुरी। अच्छी चिकनाई जरूर खाएं। अच्छे चिकनाई शरीर में एचडीएल बढ़ाती है। जो बुरी चिकनाई है वह बढ़ाती है एलडीएल और वीएलडीएल खतरनाक है। अच्छी चिकनाई नहीं खाने से शरीर चूसे हुए आम की तरह हो जाता है। चिकनाई नहीं खाने से शरीर की चमक चली जाती है।
बर्फीले इलाकों तथा पहाड़ी इलाकों में रहने वालों के लिए तिल का तेल अच्छा होता है। शुद्ध तेल में अच्छी चिकनाई मिलती है। नारियल, सरसों, तिल, मूंगफली को मिल में डालने के बाद जो सीधे तेल निकलता है, वही शुद्ध तेल होता है।
अशुद्ध तेल – रिफाइंड तेल, डबल रिफाइंड तेल, ट्रिपल रिफाइंड तेल, डालडा, वेजिटेबल तेल मत खाइए। जो आपकी तासीर को सूट करे वह तेलुगु खाएं।
मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए सरसों का तेल तथा समुंदर के किनारे रहने वाले लोगों के लिए नारियल का तेल अच्छा होता है। शुद्ध तेल से बात का कोई रोग नहीं होता है। वाद के कुल 80 रोग है जैसे – घुटने का दर्द, कमर दर्द, गर्दन का दर्द, जोड़ों का दर्द।
शुद्ध तेल की मशीन ₹50000 में आती है। लकड़ी का कोल्हू 10 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा लगभग ₹20000 में बन जाता है। सब तरह के तेल एक ही मशीन से निकल जाते हैं जैसे सरसों तेल, मूंगफली। लकड़ी के कोल्हू के तेल खाने से वात का रोग कभी नहीं होगा।
— तिल का चिपचिपापन तेल का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। ऐसा वैज्ञानिक लोग कहते हैं। जिस तेल में चिपचिपापन नहीं होता है, वह तेल नहीं होता है।
— वात को समभाव में रखने की सबसे अच्छी वस्तु है तेल जिसमें आप सब्जियां बनाते हैं तेल का मतलब शुद्ध तेल यानी तेल की घाटी से निकला हुआ सीधा-सीधा तेल। बिना कुछ मिलाए हुए माने रिफाइंड तेल ना खायें।
— किसी भी तेल को रिफाइंड करने में 6 से 7 केमिकल इस्तेमाल होते हैं। डबल रिफाइंड करने में 12 से 13 केमिकल इस्तेमाल होते हैं। ये सारे केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाए हुए इनऑर्गेनिक केमिकल है। इनऑर्गेनिक केमिकल ही जहर बनाते हैं। आधुनिकता के नाम पर प्रयोग किए जाने वाले यह केमिकल सभी के शरीर में जहर बनकर उतर रहे हैं।
— तेल में प्रोटीन बहुत है। तेल से आने वाली बास तेल का ऑर्गेनिक घटक है। प्रोटीन के लिए कुछ 5 तरह के प्रोटीन तेल में होते हैं जो बास (तेल की ) निकालने के साथ ही तेल से गायब हो जाते हैं। ये दोनों चीजें निकालने के बाद तेल, तेल नहीं होता है पानी हो जाता है। इसीलिए शुद्ध तेल ही खाएं।
— रिफाइंड तेल पिछले 20 से 25 वर्ष पहले से आए हैं। शुद्ध तेल खाने से लीवर में एचडीएल बनता है, जो शरीर के लिए आवश्यक होता है। एचडीएल ही बात को नियंत्रित करता है।
— मूंगफली और तिल में मिलने वाला तेल एचडीएल बढ़ाता है। अतः इससे बिल्कुल भी डरना नहीं चाहिए। मोटापा भी एल डी एल और एल डी एल बढ़ाने से होता है अर्थात जब एचडीएल बढ़ेगा तो एलडीएल और भी एल डी एल कम होने लगेगा जिसके कारण मोटापा कम होने लगेगा और पेट अंदर चला जाएगा।
— ब्रह्मचर्य का जीवन जीने वालों के लिए सबसे अच्छा गाय का घी, इसके बाद तिल का तेल, इसके बाद मूंगफली का तेल, फिर नारियल का तेल, इसके बाद सरसों का तेल का खाना अच्छा होता है। गृहस्थ लोगों के लिए तासीर के हिसाब से तेल का सेवन करना चाहिए।