“आहार के मौसमिक परिवर्तन: गर्मी और बरसात के मौसमों में सही खान-पान के फायदे”

आहार के मौसमिक परिवर्तन

गर्मी के दिनों में पित्त धड़कता है, इसीलिए ऐसा खाना चाहिए जो जल्दी हजम हो सके। बारिश के दिनों में पित्त सम रहता है। इसलिए बरसात के महीना में भोजन हल्का होना चाहिए। इस समय शरीर में पानी बहुत होता है। हरी पत्तियों की सब्जियों में पानी अधिक होता है। शरीर के लिए ज्यादा पानी भी अच्छा नहीं है और कम पानी भी अच्छा नहीं है।

1.अजवाइन पित्तनाशक है

— अजवाइन पित्तनाशक है। देसी गाय के घी के बाद पित्त को संतुलित करने में अजवाइन का स्थान है। पित्त की बीमारियां जैसे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, मुंह में पानी आना, खाने का हजम न होना, खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी खाने का स्वाद मुंह में रहना, डकारें आना, हिचकी आना आदि।

धनिया, जीरा, अजवाइन खाने से पेट की गैस खत्म हो जाएगी, ऐसा हमारी माताएं सर्दियों में हमें बताती रही है।

   --- गैस की समस्या होने पर खाने में अजवाइन को मिलना शुरू कर दे या खाना खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल जाएगा।
Closeup of coriander seed

2.धनिया, जीरा, अजवाइन

— धनिया, जीरा, अजवाइन खाने से पेट की गैस खत्म हो जाएगी, ऐसा हमारी माताएं सर्दियों में हमें बताती रही है।

— गैस की समस्या होने पर खाने में अजवाइन को मिलना शुरू कर दे या खाना खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल जाएगा।

— पित्त को सम रखने के लिए अजवाइन के बाद कोई चीज यदि है तो वह है जीरा। काला जीरा, सफेद जीरा से अच्छा होता है। जीरे के बाद रिंग का नंबर आता है। इसे भी भगवान ने ही बनाया है। हींग के पहाड़ होते हैं।

— इसके बाद धनिया का नंबर आता है। जब तक हरा धनिया है जब हरा धनिया खाइए। इसके बाद सूखा धनिया खाइए। दोनों के गुण बराबर होते हैं। पित्त को सम करने के लिए रसोई में कुल 108 चीज हैं।

3.पित्त को नियंत्रित करने के लिए काला जीरा अच्छा होता है।

— पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी है। भैंस का घी कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के लिए सबसे अच्छा होता है। इन्हें गाय का घी नहीं खाना चाहिए अन्यथा ये लोग बीमार पड़ सकते हैं। घी बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।

गर्मी के दिनों में पित्त धड़कता है, इसीलिए ऐसा खाना चाहिए जो जल्दी हजम हो सके। बारिश के दिनों में पित्त सम रहता है। इसलिए बरसात के महीना में भोजन हल्का होना चाहिए। इस समय शरीर में पानी बहुत होता है। हरी पत्तियों की सब्जियों में पानी अधिक होता है। शरीर के लिए ज्यादा पानी भी अच्छा नहीं है और कम पानी भी अच्छा नहीं है।

4.पित्त को संतुलित करने में अजवाइन का स्थान है।

— अजवाइन पित्तनाशक है। देसी गाय के घी के बाद पित्त को संतुलित करने में अजवाइन का स्थान है। पित्त की बीमारियां जैसे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, मुंह में पानी आना, खाने का हजम न होना, खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी खाने का स्वाद मुंह में रहना, डकारें आना, हिचकी आना आदि।

— धनिया, जीरा, अजवाइन खाने से पेट की गैस खत्म हो जाएगी, ऐसा हमारी माताएं सर्दियों में हमें बताती रही है।

— गैस की समस्या होने पर खाने में अजवाइन को मिलना शुरू कर दे या खाना खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल जाएगा।

— पित्त को सम रखने के लिए अजवाइन के बाद कोई चीज यदि है तो वह है जीरा। काला जीरा, सफेद जीरा से अच्छा होता है। जीरे के बाद रिंग का नंबर आता है। इसे भी भगवान ने ही बनाया है। हींग के पहाड़ होते हैं।

— इसके बाद धनिया का नंबर आता है। जब तक हरा धनिया है जब हरा धनिया खाइए। इसके बाद सूखा धनिया खाइए। दोनों के गुण बराबर होते हैं। पित्त को सम करने के लिए रसोई में कुल 108 चीज हैं।

पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी है। भैंस का घी कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के लिए सबसे अच्छा होता है। इन्हें गाय का घी नहीं खाना चाहिए अन्यथा ये लोग बीमार पड़ सकते हैं। घी बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।

5.देसी गाय का घी

— पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी है। भैंस का घी कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के लिए सबसे अच्छा होता है। इन्हें गाय का घी नहीं खाना चाहिए अन्यथा ये लोग बीमार पड़ सकते हैं। घी बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।

गर्मी के दिनों में पित्त धड़कता है, इसीलिए ऐसा खाना चाहिए जो जल्दी हजम हो सके। बारिश के दिनों में पित्त सम रहता है। इसलिए बरसात के महीना में भोजन हल्का होना चाहिए। इस समय शरीर में पानी बहुत होता है। हरी पत्तियों की सब्जियों में पानी अधिक होता है। शरीर के लिए ज्यादा पानी भी अच्छा नहीं है और कम पानी भी अच्छा नहीं है।

6.अजवाइन पित्तनाशक है।

— अजवाइन पित्तनाशक है। देसी गाय के घी के बाद पित्त को संतुलित करने में अजवाइन का स्थान है। पित्त की बीमारियां जैसे एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, अल्सर, मुंह में पानी आना, खाने का हजम न होना, खाना खाने के 2 से 3 घंटे बाद भी खाने का स्वाद मुंह में रहना, डकारें आना, हिचकी आना आदि।

— धनिया, जीरा, अजवाइन खाने से पेट की गैस खत्म हो जाएगी, ऐसा हमारी माताएं सर्दियों में हमें बताती रही है।

— गैस की समस्या होने पर खाने में अजवाइन को मिलना शुरू कर दे या खाना खाने के बाद थोड़ी अजवाइन तवे पर सेंक कर थोड़ा काला नमक मिलाकर जरूर खाएं, तीन दिन के अंदर गैस की समस्या से समाधान मिल जाएगा।

— पित्त को सम रखने के लिए अजवाइन के बाद कोई चीज यदि है तो वह है जीरा। काला जीरा, सफेद जीरा से अच्छा होता है। जीरे के बाद रिंग का नंबर आता है। इसे भी भगवान ने ही बनाया है। हींग के पहाड़ होते हैं।

जब तक हरा धनिया है जब हरा धनिया खाइए। इसके बाद सूखा धनिया खाइए। दोनों के गुण बराबर होते हैं। पित्त को सम करने के लिए रसोई में कुल 108 चीज हैं।

   --- पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी है। भैंस का घी कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के लिए सबसे अच्छा होता है। इन्हें गाय का घी नहीं खाना चाहिए अन्यथा ये लोग बीमार पड़ सकते हैं। घी बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।
Batch of fresh parsley, cilantro, tied with craft rope, isolated on whte table

7.हरा धनिया

— इसके बाद धनिया का नंबर आता है। जब तक हरा धनिया है जब हरा धनिया खाइए। इसके बाद सूखा धनिया खाइए। दोनों के गुण बराबर होते हैं। पित्त को सम करने के लिए रसोई में कुल 108 चीज हैं।

— पित्त को नियंत्रित करने के लिए सबसे अच्छा देसी गाय का घी है। भैंस का घी कुश्ती लड़ने वाले पहलवानों के लिए सबसे अच्छा होता है। इन्हें गाय का घी नहीं खाना चाहिए अन्यथा ये लोग बीमार पड़ सकते हैं। घी बरसात और गर्मी के समय में अधिक खाना चाहिए।